बुधवार, 11 जुलाई 2018

आयुर्वेद या एलोपैथी : कौन है ज्याोदा असरदार?



“आयुर्वेद” में कहा जाता है कि धरती पर पाई जाने वाली हर प्रकार की जड़, पत्ता, तथा पेड़ की छाल का अपना एक औषधीय गुण होता है। हमने अभी केवल कुछ का ही उपयोग करना सीखा है। और बाकी का उपयोग करना हमें अभी भी सीखना है।

आज की देशी दवाओं, जिसे हम आयुर्वेद के रूप जानते है, इनमे इतना क्या प्रथक होता है? आयुर्वेद जीवन के एक अलग ही आयाम और हमारी समझ से ही पैदा होता है। इस प्रणाली का एक हिस्सा यह भी समझाता है कि आपका शरीर बस इसका एक ढेर हैं, जिसे इस धरती से इकट्ठा किया गया है। इस धरती की प्रकृति तथा पंचभूत - यानि की धरती को बनाने वाले पञ्च तत्व इस स्थूल शरीर में भी व्याप्त हैं। अगर, आप इस शरीर को सुरक्षित और सुनियोजीत तरीके से चलाना चाहते हैं, तो यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आप शरीर के साथ जो क्रिया करें, उसका इस धरती के साथ भी संबंध हो।

सेहत, कोई आसान चीज नहीं जिसे हम सरलता से ठीक कर ले | यह एक ऐसी चीज है जो मनुष्य शरीर के अन्दर से पैदा होती है। क्योंकि, शरीर आपके अन्दर से बनता है। यह “गुण” इस धरती से आते हैं, लेकिन वे आपके भीतर से ही विकसित होते हैं। अगर आपको किसी भी चीज की मरम्मत का कोई काम करवाना या करना हो तो आपको स्वयं निर्माता के पास जाना चाहिए न कि किसी लोकल कारीगर के पास । “आयुर्वेद” का मूल तत्व यही है। 

आयुर्वेद से यदि अच्छे से समझे तो, यदि हम शरीर की अधिक गहराई में जाएं, तो यह शरीर भी अपने आप में संपूर्ण नहीं है। यह एक एक प्रकार की जारी प्रक्रिया है, जिसमें धरती भी शामिल है, जिस पर आप चलते हैं।

अगर, आप बहुत ही गंभीर स्थिति में हैं, तो आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास न जाते हुए एलोपैथी डॉक्टर के पास ही जाए | जब आपके पास ठीक होने का समय हो। आपातकाल वाली स्थिति में एलोपैथी में बेहतर व्यवस्था है।
अगर इसे ठीक से ना समझा जाए, तो आपके अंदर ये काम करने वाली ये छोटी – छोटी  चिकित्सा प्रणालियां कारगर नहीं होतीं। इस पूरी प्रणाली का हमेशा ध्यान रखे, बिना सिर्फ उसके एक ही पहलू पर कार्य करने की कोशिश फायदेमंद नहीं होती।

एक समग्रवादी प्रणाली का मकसद सिर्फ शरीर का पूर्ण रूप में उपचार करना नहीं होता है। जबकी इस  प्रणाली का मकसद जीवन का एक पूर्ण रूप में उपचार करना होता है, जिसमें हम जो खाते हैं पीते हैं सांस लेते हैं, सब कुछ शामिल होते हैं। इन चीजों का ध्यान रखे बिना आप, आयुर्वेद का पूर्ण लाभ नहीं ले सकते। अगर आयुर्वेद आपके जीवन और समाजों में एक जीवंत हकीकत बन जाता है, तो लोग देवताओं की तरह रह सकते हैं।

ऐसे अन्य स्टोरीज के लिए डाउनलोड करें: टैलेंटेड इंडिया न्यूज़ एप |

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें